*अम्बेडकरनगर में अग्निशमन विभाग की गाडिय़ां तो हैं पर आग बुझाएगा कौन?*
गर्मी का सीजन शुरू होते ही जिले में आग लगने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। आग की चपेट में आकर हर साल करोड़ों की संपत्ति जल कर राख हो जाती है। इसके बावजूद जिले में आग बुझाने की जिम्मेदारी निभाने वाला अग्निशमन विभाग स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। लेकिन जिस विभाग के पास आग बुझाने की जिम्मेदारी है। वह विभाग खुद कर्मचारियों की कमी और संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है, अगर विभाग के पास मैन पावर और सुविधाएं नहीं रहेगा तो वह लोगों को आग की घटनाओं से कैसे बचाएगा?जिले के अग्निशमन विभाग के पास न तो पर्याप्त संख्या में कर्मचारी है और न ही गाड़ियां है। जो गाड़ियां हैं भी उन्हें चलाने के लिए पर्याप्त संख्या में ड्राइवर नहीं है। जिले में आग की घटनाओं को काबू करने के लिए चार अग्निशमन केंद्र बनाए गए हैं। ये केंद्र अकबरपुर, टांडा, जलालपुर और आलापुर हैं, लेकिन इन केंद्रों पर न तो पर्याप्त संख्या में न तो कर्मचारी है और न ही संसाधन है। इन फायर केंद्रों पर फायर स्टेशन अफसर की तैनाती नहीं है। इसके अलावा वाहन को चलाने के लिए कहीं एक तो कहीं दो ड्राइवर हैं। लीडिंग फायरमैन व फायरमैन की भी कमी सभी केंद्रों पर बनी हुई है। ऐसे में यदि कहीं आग लगती है, तो उस पर काबू पाने में यह विभाग कितना सार्थक साबित हो सकता है। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।जिले में चार अग्निशमन केंद्र है। इन केंद्रों पर तैनाती के लिए चार अग्निशमन अधिकारी प्रथम के पद सृजित है, लेकिन सभी पद खाली है। अग्निशमन अधिकारी द्वितीय के पांच पद सृजित है। दो पद पर तैनाती है और तीन पद खाली है। लीडिंग फायरमैन के 9 पद है 6 खाली है, 3 पर तैनाती है। फायर सर्विस चालक के 10 पद हैं, 5 पर तैनाती हैं, 5 खाली है। फायरमैन के 72 पद है, 58 पर तैनाती है और 14 खाली हैं।ड्राइवर की कमी से जूझ रहा विभाग
अग्निशमन केंद्रों पर ड्राइवर की भारी कमी है। ड्राइवर की कमी होने से विभाग को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। अग्निशमन केंद्रों पर आग बुझाने के लिए 5 छोटे वाहन है। 7 फायर टेंडर बसे है। कुल 12 वाहन है, लेकिन इनको चलाने के लिए केवल 5 ड्राइवर है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी जय प्रकाश सिंह ने बताया कि मैनपावर की कमी है, लेकिन जो भी सुविधाएं है, उन्हीं से बेहतर रिस्पॉन्स दिया जा रहा है।